Saturday, April 9, 2011

यही जिंदगी है ....

जब कुछ सपने यूँ झटके से टूटे
जो थे अपने जब वही निकले झूठे 
जब अरमानो की लाश को खुद आग दी
तब अहसास हुआ यही जिंदगी है

कभी दुसरो की खातिर कभी अपनों की खातिर
झूठी मुस्कराहट बिखेरते बिखेरते 
दिखा दर्पण जब एक दिन
अहसास आया यही जिंदगी है

बहुत हस लिए जब दूसरो पर 
खुदको जब देखा एक दिन 
और फूट फूट कर रोया
खुदको समझाया यही जिंदगी है

जब खूब दौड़ कर भी वो ना कर सके हासिल
जो पाना था बहुत पीछे रह गया
जहा देखने पर सक धुंधला नजर आता है
अहसास हुआ यही जिंदगी है

रोते हुए चेहरे पर जब पड़ी खुशिओ की चमक
पहली बार जिंदगी का अहसास लिया 
और खुशिया देने वाले ने जब कीमत मांग ली
अहसास हुआ यही जिंदगी है 

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