Friday, February 14, 2014

जिन्दा हो तुम..!!

एक एहसास के अभी जिन्दा हो तुम
कभी इस एहसास को एहसास  करने का वक़्त निकालो यारों
कि छोड़ कर तुम भागना आज
कुछ अधूरी रह गई ख्वाइशों पर नज़र डालो यारों
आँखें बंद करके एक लम्हा
जरा इस वक़्त कि रफ़्तार तो पहचानो यारों

कैसा है ये सफ़र जिंदगी का
कि चल रहा है वक़्त उसी रफ़्तार से
पर ना जाने जिंदगी थम सी गई है कहीं

जीने की खातिर खुदको रोज़ मार देते हैं
दिल में बसें अरमानों को मज़ाक में टाल देते हैं
जीने कि उम्र में टूट रहें  हैं हम
धड़कता दिल सुनके याद आता है कि जिन्दा हैं हम

रात के अंधेरो में जब कुछ यादों को बटोरा
एहसास हुआ कि कितने वक़्त से रोये नहीं
नींद तो रोज़ आ जाती है लेकिन
ना जाने कितने वक़्त से सोये नहीं

अधूरे ख्वाब अधूरी चाहत
सब अधूरा ही रह  जाएगा
निकल जाएगा ये वक़्त यूँ ही कश्मकश में
सब वक़्त यूँ ही गवां देने से पहले

एक एहसास के अभी जिन्दा हो तुम
कभी इस एहसास को एहसास करने का वक़्त निकालो यारों
कि छोड़ कर तुम भागना आज
कुछ अधूरी रह गई ख्वाइशों पर नज़र डालो यारों