एक अदनी सी जिंदगी जिसमें हर और ख्वाहिशें कुचली जाती हैं
रौशनी की किरणें भी क्यों धकेल कर अँधेरे में ही ले जातीं हैं
जब होना न था तुम्हे पूरा तो क्यों तमन्ना जाग उठी
पल दो पल की खुशियाँ दे फिर दर्द की राग उठी
मुझे ऐ जिंदगी मेरा कुसूर बता दे
मोहब्बत न हो कभी इतना गुरूर दिला दे
या तो मुझे जीने ही न दे
या फिर ऐसे जीने की उसूल सिखा दे ||
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