डर लगता है जिंदगी से की इसे खो ना दूँ कहीं
डर लगता है निकलने में बाहर की रो न दूँ कहीं
उठा सकूँ नज़र जमीं से इतनी हिम्मत ही नहीं
ढूंढ रहा हूँ कुछ अपना जो खोया है यहीं कहीं
क्यों उसकी सिर्फ याद से दिल सहम जाता है
क्यों मुझे आजकल अपने आप पर रहम आता है
डर लगता है खुशियों से की वो कल लौट जाएंगी
फिर याद आ आ कर मुझे यूँ ही रुलाएंगी
धागा धागा करके खुल रही है ये जिंदगी की डोर
मधुर संगीत भी लगता है जैसे मचा रहा हो कोई शोर
बस अब चारो और अँधेरा है और शान्ति सी छाई है
जिंदगी में बस अब तन्हाई ही तन्हाई है
डर लगता है जिंदगी से की इसे खो ना दूँ कहीं
डर लगता है निकलने में बाहर की रो न दूँ कहीं ||
डर लगता है निकलने में बाहर की रो न दूँ कहीं
उठा सकूँ नज़र जमीं से इतनी हिम्मत ही नहीं
ढूंढ रहा हूँ कुछ अपना जो खोया है यहीं कहीं
क्यों उसकी सिर्फ याद से दिल सहम जाता है
क्यों मुझे आजकल अपने आप पर रहम आता है
डर लगता है खुशियों से की वो कल लौट जाएंगी
फिर याद आ आ कर मुझे यूँ ही रुलाएंगी
धागा धागा करके खुल रही है ये जिंदगी की डोर
मधुर संगीत भी लगता है जैसे मचा रहा हो कोई शोर
बस अब चारो और अँधेरा है और शान्ति सी छाई है
जिंदगी में बस अब तन्हाई ही तन्हाई है
डर लगता है जिंदगी से की इसे खो ना दूँ कहीं
डर लगता है निकलने में बाहर की रो न दूँ कहीं ||
Kudos!
ReplyDeleteThe one I really liked... +100
Hat's off dude.......Har kisi ke dil mey kuch esa hi chalta raheta hey///////////classy one.....:-)
ReplyDeletetheek thaak hi hai ye... :)
ReplyDeletegood one buddy...every1 can relate it to themselves...n u hv bcome hell of a writer..
ReplyDeleteThanks AKM and Raman :)
ReplyDeleteThanks Bunty :)
ReplyDeleteAnd Thanks for the complement Ankit, Few more are on their way....keep visiting :)
You got 100 out of 100 marks for this post :)
ReplyDeleteYou are a gr8 artist !!
:) :) :) ..A big Thanks to you Simran :)
ReplyDeleteEveryone is an artist, they just need to discover it :)