आज पुरानी अलमारी में वो किताब नज़र आ गई
बचपन की तस्वीरो से कुछ याद मुझे दिला गई अच्छे थे वो पल की जब चाहो तब रो लेते थे
और खिलौने ही दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी दे देते थे
रातों को जब हम यूँ चैन की नींद सो जाते थे
जब पापा आकर रात को चादर हमें उड़ाते थे
अच्छे थे वो पल जब सब साथ घूमने जाते थे
सी-सी करते हुए भी हम खूब पानीपूरी खाते थे
त्योहारों पर जब हम खूब उछलते गाते थे
जब मौसी मौसा आकर गोदी में हमे उठाते थे
अच्छे थे वो पल जब डर ना किसी बात का था
जब प्यार का मतलब सिर्फ सर पर दादी का हाथ था
याद करके ये सब कुछ आँखे मेरी भीगा गई
बचपन की तस्वीरे फिर याद सब दिला गई ||
Nice, beautiful poem !
ReplyDeleteBohot khoob bataai aapne apne bachpan ki kahaani :)
ReplyDeleteLovely poem yaar....bachpan yaad dila di tune...:):)
ReplyDeleteThanks guys :)
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ReplyDeletewah wah....bahut acha likha hai
ReplyDeletefavrt lines:
रातों को जब हम यूँ चैन की नींद सो जाते थे
जब पापा आकर रात को चादर हमें उड़ाते थे
अच्छे थे वो पल जब सब साथ घूमने जाते थे
सी-सी करते हुए भी हम खूब पानीपूरी खाते थे
kya baat kahi....sach mein bachpan yaad aa gaya..
Excellent. :)
ReplyDeleteThanks Hema and Dheeraj...
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